क्यों विस्मित हो ऐसे
जानकर
कि सचमुच कोई जी सकता है
एक ज़िंदगी में कई ज़िन्दगियाँ
शायद तुम्हें किसी से
सिर्फ़ परिचय हुआ
पहचान हुई
और हुआ भ्रम
प्यार का
मगर किसी से प्यार नहीं हुआ
या इतना प्यार नहीं हुआ
कि
सुन पाते
एक सुर में सरगम
जी पाते
एक पल में ज़िन्दगी
एक ज़िन्दगी में कई ज़िन्दगियाँ .
और हुआ भ्रम
प्यार का
मगर किसी से प्यार नहीं हुआ
या इतना प्यार नहीं हुआ
कि
सुन पाते
एक सुर में सरगम
जी पाते
एक पल में ज़िन्दगी
एक ज़िन्दगी में कई ज़िन्दगियाँ .
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प्रस्तुत पद्य - खंड मेरी प्रकाशाधीन पुस्तक ----'' स्पर्श
''------( प्रेम
को समर्पित : एक प्रयास ) ..की एक लम्बी कविता से उद्धृत है ..... पूरी कविता
पुस्तक में लेकर आऊँगा..
06.12.2012
06.12.2012
Nice n true ......
ReplyDeleteधन्यवाद रजनी जी कि आपको मेरी यह रचना पसन्द आयी और आपने कमेंट्स लिखने के लिये समय निकाला ....आशा है भविष्य में भी मेरी रचनाओं को आपका स्नेह मिलेगा ....आभार ...
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