दोस्ती
दोस्ती में चेहरा नहीं देखा जाता
माना मगर
प्रेम
प्रेम में चेहरा आ ही जाता
कहीं-न-कहीं
कभी-न-कभी
अहमियत चेहरे की नज़र अंदाज़ कर सकते नहीं
बेजान भी जो सुन्दर हो कहीं
बस प्यार आने लगता वहीं
दोस्त तुम्हें होता नहीं यकीं
बता
क्यों ताजमहल लगता हसीं .
---- विभूति कुमार ..19-11-12.
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बिना चेहरे के भगवान् से भी प्रेम नहीं होता
ReplyDelete.....
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा बबन जी ..
मैं भी सगुण मार्ग में ही विश्वास करता हूँ ..