सौन्दर्य का अंतिम पड़ाव लेकर
किसी पहाड़ी नदी का
चंचल, उन्मत्त-सा बहाव लेकर
वो आ बैठे
क़रीब मेरे
जीवन में एक ठहराव लेकर
किसी पहाड़ी नदी का
चंचल, उन्मत्त-सा बहाव लेकर
वो आ बैठे
क़रीब मेरे
जीवन में एक ठहराव लेकर
सौन्दर्य का अंतिम............
अंग उनका .... उफ़
सोम तले सौम्य-सा
ढंग उनका .... उफ़
दृश्य कोई रम्य-सा
संग उनका .... उफ़
शत अपराध क्षम्य-सा
वो आ बैठे
अप्रतिम-सा कोई झुकाव लेकर
सौन्दर्य का अंतिम................
अंग उनका .... उफ़
सोम तले सौम्य-सा
ढंग उनका .... उफ़
दृश्य कोई रम्य-सा
संग उनका .... उफ़
शत अपराध क्षम्य-सा
वो आ बैठे
अप्रतिम-सा कोई झुकाव लेकर
सौन्दर्य का अंतिम................
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प्रकृति और सौंदर्य के माध्यम से एक बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद पंकज जी ...
ReplyDeleteमेरी रचना के लिये वक्त निकाला और उसे पसन्द भी किया ..