Sunday, December 9, 2012

सौन्दर्य का अंतिम पड़ाव



सौन्दर्य का अंतिम पड़ाव लेकर
किसी पहाड़ी नदी का
चंचल, उन्मत्त-सा बहाव लेकर
वो आ बैठे
क़रीब मेरे
जीवन में एक ठहराव लेकर
सौन्दर्य का अंतिम............

अंग उनका .... उफ़
सोम तले सौम्य-सा
ढंग उनका .... उफ़
दृश्य कोई रम्य-सा
संग उनका .... उफ़
शत अपराध क्षम्य-सा
वो आ बैठे
अप्रतिम-सा कोई झुकाव लेकर
सौन्दर्य का अंतिम................
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प्रस्तुत पद्य - खंड मेरी प्रकाशाधीन पुस्तक ----'' स्पर्श ''------( प्रेम को समर्पित : एक प्रयास ) ..की एक लम्बी कविता से उद्धृत है ..... पूरी कविता पुस्तक में लेकर आऊँगा
04.12.2012.

2 comments:

  1. प्रकृति और सौंदर्य के माध्यम से एक बेहतरीन अभिव्यक्ति

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  2. बहुत - बहुत धन्यवाद पंकज जी ...
    मेरी रचना के लिये वक्त निकाला और उसे पसन्द भी किया ..

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