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यक़ीनन
तुम हँसी नहीं उड़ाते कभी
जो आये होते कभी
स्नेह के आँगन में
नेह के मधुवन में
कृष्ण के वृन्दावन में
और सुन पाते किसी की धुन
मेरे दिल की धड़कन में .
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प्रस्तुत पद्य - खंड मेरी प्रकाशाधीन पुस्तक ----'' स्पर्श
''------( प्रेम
को समर्पित : एक प्रयास ) ..की एक लम्बी कविता से उद्धृत है ..... पूरी कविता
पुस्तक में लेकर आऊँगा ..
December 6 , 2012 0n Facebook
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