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प्रथम स्पर्श प्रियवर का
है उपहार कोई ईश्वर का
विभूषा से अलंकृत बदन
नव पायल से झंकृत आँगन
आती जब वो कक्ष शयन
सितारों से चलकर दुल्हन
होती सम्मुख मुख धवल
न्यौतती जब स्पर्श नवल
फिर
न पूछिए धड़कनों का कम्पन
लगतीं साँसें ज्यों अंगार से
एक अजीब-सा है रिश्ता
धड़कन का प्यार से
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विभूषा से अलंकृत बदन
नव पायल से झंकृत आँगन
आती जब वो कक्ष शयन
सितारों से चलकर दुल्हन
होती सम्मुख मुख धवल
न्यौतती जब स्पर्श नवल
फिर
न पूछिए धड़कनों का कम्पन
लगतीं साँसें ज्यों अंगार से
एक अजीब-सा है रिश्ता
धड़कन का प्यार से
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------ क्रमशः -------
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