==== फागुन ====
ऋतुओं का है देश ये
भिन्न-भिन्न रुतों में
मीठी-सी अगन होती है
तीखी-सी जलन होती है
मगर
नहीं बौराता
कभी भी
कोई भी
किसी ऋतु में
जाने क्यों
चाहे तन हो
चाहे मन हो
या मस्त पवन हो
बौराये-बौराये-से लगते
जब फागुन का आगमन हो
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posted on fb on 27.03.2013
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